Wednesday, February 12, 2014

Vimla Mausi

सामान शिफ्ट करते, शाम के 4 बज गए. नये मकान की लोकेशन अच्छी है. बस पांच मिनट पैदल स्टेशन है.
"खीर बना रही हूँ, खा कर ही मार्केट जाना." कहकर उमा kitchen में घुस गयी.
"थोडा ज्यादा खीर बनाना. कुछ पड़ोसियों में भी बाँट आयेंगे. इसी बहाने पहचान भी हो जाएगी." मैंने जोर से कहा.
"अरे बाबा kitchen में ही हूँ चाँद पर थोड़े ही ना गयी हूँ जो इतना चिल्ला रहे हो. " उसने kitchen से झांकते हुए मुस्कुरा कर कहा. इस कांग्रेस की सरकार में, उसकी मुस्कुराहट की ही तो price अब तक नहीं बढ़ी. 

पड़ोसियों से शाम की वार्तालाप के बाद एक बात तो समझ में आ गई थी कि सामने वाली विमला मौसी काफी famous हैं.  कारण कोई बताने को तैयार नहीं था, सब बस कह रहे थे कि कुछ दिनों में आप खुद समझ जाइएगा.

सवेरे नींद खुली तो पता चला कि सामने वाली विमला मौसी ने आसमान सर पर उठा रखा है. किसी ने motorcycle रात में उनके फाटक के सामने पार्क कर दिया था.  चाय पीते हुए मैंने उमा को कहा कि जिसकी भी bike है, वो तो गया काम से. उमा ने खिड़की से बाहर झांकते हुए कहा कि "लग तो अपनी ही रही है".
मैंने चाय का प्याला जल्दी से नीचे रखा और तेज क़दमों से बाहर निकल गया.
"मौसी वो कल जल्दबाजी में गलती हो गयी." bike अपने campus में करते हुए मैंने कहा. बदकिस्मती से reverse करते वक्त motorcycle ने पास बंधी गाय को ठोकर मार दिया. बस फिर क्या था, मनो मौसी की पूँछ में आग लगा गयी हो. मौसी ने मेरे और उमा के सात पुश्तों को कोस डाला. सारे पडोसी बाहर खड़े होकर आनंद ले रहे थे. 
"अब समझ आया कि विमला मौसी क्यों famous हैं. बहुत दिनों बाद दुबारा ऐसी गलियाँ सुनने का मौका लगा." मैंने उमा से मुस्कुरा कर कहा. उधर मौसी जी अभी भी सुवचन बाँट रही थीं.

कुछ ही दिनों में हम मौसी को अच्छी तरह जान गए. विमला मौसी जब पूरे रंग में आती हैं तो आपको अपने सारे भूले-बिछड़े रिश्तेदार की याद दिला देती हैं. उन्होंने तो चंद दिनों में मेरे उन पूर्वजों को भी अपने सुभाशीष से खंगाल डाला था जो बन्दर रहे होंगे. विमला मौसी ऐसे काफी innovative हैं गालियों के मामले में. धाराप्रवाह एक से बढ कर एक गलियाँ देती हैं. कल जब वो पूरे फॉर्म में शर्मा जी पर बरस रही थीं तो मुझे अपनी हिंदी grammar की "संधि" (combining sounds) की classes याद आ गयी. सिर्फ एक शब्द से संधि कराकर मौसी ने अनगिनत शब्द बना डाले थे.
शर्मा जी बता रहे थे की मौसी को Low blood pressure है. मैंने भगवन का लाख-लाख शुक्रियादा किया कि अपनी किस्मत अच्छी है जो मौसी को High blood pressure नहीं है. वर्ना मौसी न जाने क्या-क्या करती? यूँ तो मौसी बुरे दिनों में झाड़-पात से भी झगडा खोट लेती हैं, पर ऐसा मौका मोहल्ले वालों ने दिया नहीं या यूँ कहें मौसी ने ऐसा मौका आने नहीं दिया.
यूँ सोचिये तो इसमें केवल बुराई ही नहीं है. जब मौसी कल सुभाशीष दे रही थीं तो उमा को याद आया कि उसने बहुत दिनों से अपने पापा से बात नहीं की है.  मौसी ने उसे उसके पापा लगाकर कोई गाली दी थी. मेरी माँ कहती है कि जो लोग बोल देते हैं, उनका मन साफ होता है. मौसी का दिल भी साफ था. कभी भी कोई मदद की जरूरत हो तो मौसी कभी मना नहीं करती थी. ये बात अलग है की अगले ही झगडे के मौके पर पूरी कालोनी वालों के सामने उलहना दे देती थीं.

रात को खाने पर उमा ने चर्चा छेड़ा कि ऐसे माहौल का बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा. कोई नया मकान जल्द  ही ढूंढना पड़ेगा. मैंने उसे समझाया कि ऐसे भी बच्चे अभी छोटे हैं और दो चार गलियाँ सीख भी लें तो कोई बुराई नहीं है. यह भी हमारे culture का एक हिस्सा है जो शहरीकरण के साथ नष्ट होता जा रहा है.  ऐसे भी कब तक समस्याओं से भागते फिरेंगे, कोई ना कोई समस्या तो हरेक जगह होगी. मैं लोकेशन की वजह से मकान change  नहीं करना चाह रहा था.  
"एक समाधान है मेरे दिमाग में. बस तुम्हारी मंजूरी चाहिए." मैंने उमा से नजरें चुराते हुए कहा. "लोहे को लोहा ही काट सकता है." मैं इशारों में ही उसे समझाना चाह रहा था. 
 "मैं समझी नहीं." ......"Ohh NOO!!!..कहीं आप ..?"
"OHH Yess.." 
उसने मुस्कुराते हुए स्वीकृति में हामी भरी और मैं मोबाइल लेकर कॉल लगाने बाहर चला आया.

शाम को दरवाजे पर ही पता चल गया की नानी आ चुकी है. अन्दर वह उमा पर बरस रही थीं. मैंने नानी के पाँव छूए और नाना का हाल चाल पूछा. फिर मैंने बच्चों को नानी को आसपास दिखा लाने को कहा. मैंने नजरों से ही उमा को समझाया कि बस थोड़े ही दिनों की बात है.
बात कुछ ऐसी है कि मेरी नानी दिन में जब तक किसी से झगडा ना कर लें तो उनका खाना नहीं पचता. इसी कारण मैंने कल नानी को call लगाया था. विमला मौसी की काबिलियत देखकर मुझे लगा कि कोई उन्हें टक्कर दे सकता है तो वो मेरी नानी ही है. दो शेर आमने सामने हों तो टक्कर पक्की है, बस अब मुझे इन्तजार करना था. रात को मैंने अपनी motorcycle विमला मौसी के फाटक के सामने पार्क कर दी और सोने चला आया. बस इन्तजार सुबह होने का था.

उमा ने मुझे झकझोर कर जगाया. बाहर बहुत शोर मचा हुआ था. उमा ने बताया की सवेरे नानी टहलने निकली हुई थीं और जब वापस आयीं तो विमला मौसी आप को गलियाँ दे रही थीं. बस फिर क्या था, दोनों तभी से जमे पड़े हैं. 
"जल्दी फ्रेश हो लीजिये नहीं तो आप miss कर जायेंगे. मैंने चाय टेबल पर रख दिया है और में बाहर जा रही हूँ."
"ठीक है, पर तुम बाहर मत निकलना. मैं नहीं चाहता कि तुम कुछ बोलकर नानी का पलड़ा हल्का कर दो."
दो घंटे तक चली लड़ाई का मैंने भरपूर आनंद लिया. मन ही मन सोचा चलो आज parliament session नहीं भी देखूँगा तो काम चलेगा. विमला मौसी, नानी के उम्र और तजुर्बे से मात खा गयी थीं. सब शांत हो जाने के बाद मैं शान से motorcycle लेकर बाजार निकल गया. 

पिछले दो दिनों से मोहल्ले में शांति है. शाम को आया तो पता चला कि नानी मौसी के घर पर हैं. मौसी खुद बुलाने आयी थीं. मैंने कहा कि ये भी सही है, आखिर कितने दिन पडोसी से झगडा रख सकते हैं.

उमा ने मुझे झकझोर कर जगाया. बाहर बहुत शोर मचा हुआ था. मैंने पूछा कि अब क्या हुआ? उसने हँसते हुए कहा कि आप खुद देख लीजिये. बाहर भीड़ जमी थी. विमला मौसी और मेरी नानी मिलकर शर्मा जी को उनके खानदान की याद दिला रही थीं. मैंने मन ही मन कहा की चोर चोर आखिर मौसेरे भाई ही होते हैं. शर्मा जी की तो दूर दूर तक मुझे खैरियत नजर नहीं आ रही थी. शाम को ही मैंने नानी का सामान बंधा और वापस भेज दिया. विमला मौसी स्टेशन तक छोड़ने आई थी.